इंसान एक दुकान है और जुबान उसका ताला

“इंसान” एक दुकान है, और ”जुबान”उसका ताला…!!
जब ताला खुलता है, तभी मालुम पड़ता है…
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कि दूकान ‘सोने’ कि है, या ‘कोयले’ की…!!